मुकुन्ददास नामक एक व्यक्ति किसी अच्छे सन्त का शिष्य था| वे सन्त जब भी उसको अपने पास आने के लिये कहते, वह यही कहता कि मेरे बिना मेरे स्त्री-पुत्र रह नहीं सकेंगे| वे सब मेरे ही सहारे बैठे हुए हैं| मेरे बिना उनका निर्वाह कैसे होगा? सन्त ने कहते कि भाई! यह तुम्हारा वहम है, ऐसी बात है नहीं|…

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वहम मिट गया 💁‍♀ | Hindi moral short story | Watch Spiritual story with good moral