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महामारी से अनूठा बचाव

एक समय साईं बाबा ने लगभग दो सप्ताह से खाना-पीना छोड़ दिया था| लोग उनसे कारण पूछते तो वह केवल अपनी दायें हाथ की तर्जनी अंगुली उठाकर अपनी बड़ी-बड़ी आँखें फैलाकर आकाश की ओर देखने लगते...

मेरा पेड़ा मुझे दो

यह घटना दिसम्बर, 1915 की है| गोविन्द बालाराम मानकर जो बांद्रा में रहते थे| साईं बाबा की भक्ति के दीवाने थे| अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् मानकर ने उनकी अंत्येष्टि क्रिया शिरडी में...

ब्रह्म ज्ञान पाने का सच्चा अधिकारी

साईं बाबा की प्रसिद्धि अब बहुत दूर-दूर तक फैल गयी थी| शिरडी से बाहर दूर-दूर के लोग भी उनके चमत्कार के विषय में जानकर प्रभावित हुए बिना न रह सके| वह साईं बाबा के चमत्कारों के बारे म...

रोहिला के प्रति प्रेम

साईं बाबा का प्रेम सभी लोगों के प्रति एकसमान था| बाबा सभी वर्णों के लोगों से समान रूप से प्रेम करते थे| बाबा की दृष्टि में ऊंच-नीच, जाति-पाति, छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नह...

कतलियां कहां हैं?

बांद्रा निवासी रघुवीर भास्कर पुरंदरे साईं बाबा के परम भक्त थे| जो अवसर शिरडी जाते रहते थे| जब वे एक अवसर पर शिरडी जा रहे थे तो श्रीमती तर्खड (जो उस समय बांद्रा में ही थीं) ने श्रीम...

बापू साहब बूटी को अभय दान

एक बार बापू साहब बूटी शिरडी आये हुए थे| तब एक दिन उनसे बाबा साहब डेंगले जो ज्योतिष विद्या के जानकर भी थे, ने बापू साहब बूटी से कहा – “आज का दिन आपके लिए बहुत घातक है| आपके जीवन पर ...

बाबा का संकट के प्रति सचेत करना

साईं बाबा रहते तो शिरडी में ही थे, पर उनकी नजरें सदैव अपने भक्तों पर लगी रहती थीं| बाबा अपने भक्तों पर आने वाले संकटों के प्रति उन्हें आगाह भी करते और संकटों से उनकी रक्षा भी किया ...

दासगणु को ईशोपनिषद् का रहस्य नौकरानी द्वारा सिखाना

एक बार दासगणु जी महाराज ने ईशोपनिषद् पर ‘ईश्वास्य-भावार्थ-बोधिनी टीका’ लिखनी शुरू की| इस ग्रंथ पर टीका लिखना वास्तव में बहुत ही कठिन कार्य है| दासगणु ने ओवी छंदों में इसकी टीका तो ...

साठे पर बाबा की कृपा

साठे मुम्बई के प्रसिद्ध व्यापरी थे| एक बार उन्हें अपने व्यापार में बहुत हानि उठानी पड़ी, जिससे वे बहुत उदास-निराश हो गये| उनके मन में घर-बार छोड़कर एकांतवास करने के विचार पैदा होने...

छिपकली बहनों का मिलन

एक समय की बात है कि साईं बाबा मस्जिद में बैठे हुए अपने भक्तों से वार्तालाप कर रहे थे| उसी समय एक छिपकली ने आवाज की, जो सबने सुनी और छिपकली की आवाज का अर्थ अच्छे या बुरे सकुन से होत...