राजा दुर्जय सभी शास्त्रों में निष्णात हो चुके थे और शत्रुओं को भी जीत लिये थे, किंतु अपनी इन्द्रियों पर विजय नहीं प्राप्त कर सके थे| जो मन से हार जाय उस पराक्रमी को पराक्रमी कैसे कहा जा सकता है? राजा दुर्जय तो मन को नहीं जीत सके थे, किन्तु इनकी पतिव्रता पत्नी आध्यात्मिक तेज से सम्पन्न थीं|…

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आसक्ति से विजेता भी पराजित 🙏 | Hindi moral short story | Watch Spiritual story with good moral