एक ‘चक्ववेण’ नाम के राजा थे| वे बड़े धर्मात्मा थे| राजा और रानी दोनों खेती करते थे और खेती से जितना उपार्जन हो जाय, उससे अपना निर्वाह करते थे| राज्य के धन को वे अपने काम में नहीं लेते थे| प्रजा से जो कर लेते थे, उसको प्रजा के हित में ही खर्च करते थे| राजा होते हुए भी वे साधारण मोटा कपड़ा पहनते थे और भोजन भी साधारण ही करते थे|…

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