एक दिन भक्तसिरोमणि देवर्षि नारद विणापर हरि का यशोगान करते हुए एक ऐसे स्थान पहुँचे जहाँ कुछ ब्राह्मण अत्यन्त खिन्न और उदास-अवस्था में बैठे थे| उन्हें दुःखी देखकर नारद जी ने पूछा-‘पूज्य ब्राह्मण देवो! आप सब इस प्रकार क्यों उदास हो रहे हैं? कृपया मुझे अपने दुःख का कारण बताइये, सम्भवतः मैं आपकी कुछ सहायता कर सकूँ|’…

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दान का स्वरूप 🌹 | Hindi moral short story | Watch Spiritual story with good moral