रामसुख और मनसुख दो जमींदार घनिष्ठ मित्र थे| जब मनसुख की पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया तो रामसुख बोला… ‘बड़े भाग्यवान हो, ईश्वर ने तुम्हें पुत्र दिया है|’ ‘हाँ, मैं सचमुच ही बहुत भाग्यवान हूँ| लेकिन एक चिंता सता रही है कि मेरे मरने के बाद यदि मेरे बेटे को धन-संपति न मिली तब क्या होगा?…

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