बादशाह अकबर हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दलालों के माध्यम से भारी मात्रा में रुई मंगवाते थे और बहुत ही सस्ती दर पर सूत कातने वाले कारीगरों को दे देते थे, जिससे उनका गुजारा चलता रहता था| वे कारीगर सूत कातकर दरबार को वापस लौटा देते और दरबार से वह सूत पुन: व्यापारियों को बेचा जाता था, …

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