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दान धर्म के आदर्श 👺 दैत्यराज विरोचन

दैत्यराज विरोचन भक्तश्रेष्ठ प्रहलाद के पुत्र थे और प्रहलाद के पश्चात् ये ही दैत्यों के अधिपति बने थे| प्रजापति ब्रहमा के समीप दैत्यों के अग्रणी रूप में धर्म की शिक्षा ग्रहण करने वि...

द्वादशाक्षर मंत्र की महिमा 🔥

एक बार ऋषियों ने सूत जी से पूछा- ‘भगवान्! आप ऐसा उपाय बताएँ, जिससे सभी पापों से छुटकारा मिल जाए, अलक्ष्मी (दरिद्रा) छोड़ कर चली जाए और निरंतर लक्ष्मी का निवास हो|’ सूत जी ने कहा- ‘...

भक्ति से सर्वातिशायी सामर्थ्य 🙂

भगवान् शंकर की भक्ति से मनुष्य में इतनी सामर्थ्य आ जाती है कि वह देवों को भी अभिभूत कर सकता है| विप्र दधीच भगवान् शंकर के उत्तम भक्त थे| वे भस्म धारण करते थे और सदा भगवान शंकर का स...

दान धर्म के आदर्श 📿 महादानी कर्ण

एक बार इंद्रप्रस्थ में पांडवोँ की सभा में श्रीकृष्णचंद्र कर्ण की दानशीलता की प्रशंसा करने लगे| अर्जुन को यह अच्छा नही लगा| उन्होंने कहा- ‘ऋषिकेश! धर्मराज की दानशीलता में कहाँ त्रुट...

ब्रह्मवेता याज्ञवल्क्य 🙂

महर्षि याज्ञवल्क्य का शास्त्र ज्ञान और ब्रह्मज्ञान अपूर्व है| यज्ञवल्क के वंशज होने के कारण इनका नाम याज्ञवल्क्य पड़ा| इनके पिता का नाम ब्रह्मा था| एक बार राजा जनक ने यज्ञ का आयोजन ...

देवर्षि नारद की संगीत साधना 📿

कौशिक के स्वागत-समारोह में नारद जी को जो लक्ष्मी-नारायण के समीप से दूर हटाया गया था और उनकी जगह तुम्बुरु को बैठाया गया था, वह नारद जी को बहुत ही खला| वे समझ गए कि मेरा इतना बड़ा अध्...

सत्संग 👥 एवं भगवान् के चरणोदक की महिमा

प्राचीन काल में गुलिक नामक एक व्याध था| वह बड़ा क्रूर था| वह पराये धन को हड़पने में सदा तत्पर रहता था| धन के लिए प्राणियों की, मनुष्यों की हत्या करने में भी उसके मन में हिचक न थी| ...

ईश्वर सब कहीं है

दातादीन अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियाँ सुनाया करता था| एक दिन उसने गोपाल से कहा- ‘बेटा! एक बात कभी मत भूलना कि भगवान् सब कहीं हैं| गोपाल ने इधर-उधर देखकर पू...

कुत्ते 🐕 की भूल

एक कुत्ते को पक्षियों के अंडे खा जाने का अभ्यास हो गया| वह खेत की मेड़ों और नदी के किनारे घुमा करता और टिटिहरी के अंडे देखते ही खा जाया करता था| नदी-किनारे की रेत में वह कछुए के अं...

👨🏻‍⚕️वैद्य जी भगाये गये

देवीसहायका लड़का भगवती प्रसाद बीमार हो गया था| वह गरमी की दोपहरी में घर से चुपचाप आम चुनने भाग गया और वहाँ उसे लू लग गयी| उसे जोर से ज्वर चढ़ा था| देवीसहाय ने वैद्य जी को अपने लड़क...