कौशिक के स्वागत-समारोह में नारद जी को जो लक्ष्मी-नारायण के समीप से दूर हटाया गया था और उनकी जगह तुम्बुरु को बैठाया गया था, वह नारद जी को बहुत ही खला| वे समझ गए कि मेरा इतना बड़ा अध्ययन, इतनी बड़ी तपस्या आदि सब कुछ संगीत के सामने तुच्छ- सा हो गया| इस पर वे भी संगीत के ज्ञान के लिए उत्सुक हो गए और घोर तप करने लगे|…

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देवर्षि नारद की संगीत साधना 📿 | Hindi moral short story | Watch Spiritual story with good moral